🔹 इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को विभिन्न क्षेत्रों में एकीकृत करता है, जिससे नवाचार और औद्योगिक वृद्धि को बढ़ावा मिलता है। इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट भारत की औद्योगिक प्रगति में सहायक है।
🔹 शहरी-ग्रामीण कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करके समावेशी विकास सुनिश्चित करता है और क्षेत्रीय असमानताओं को कम करता है। सस्टेनेबल सिटीज को बढ़ावा देने के लिए यह एक प्रभावी कदम है।
🔹 ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर और अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहित करता है, जिससे कार्बन फुटप्रिंट कम होता है। क्लाइमेट एक्शन से संबंधित परियोजनाएं दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करती हैं।
🔹 सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन पद्धतियों और अक्षय ऊर्जा के समावेश को बढ़ावा देता है। ग्रीन बिल्डिंग तकनीकों का उपयोग विकास को पर्यावरण के अनुकूल बनाता है।
🔹 मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को रोकता है। सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट मॉडल को अपनाने से लॉजिस्टिक्स में सुधार होता है।
🔹 GIS और तकनीक का उपयोग परियोजना निष्पादन के दौरान पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है। स्मार्ट सिटीज मिशन के साथ तालमेल बनाकर यह डिजिटल नवाचार को बढ़ावा देता है।
🔹 बड़े पैमाने पर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स वनों की कटाई और स्थानीय विस्थापन का कारण बन सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के उपायों की आवश्यकता है।
🔹 तीव्र विकास और पारिस्थितिकीय संरक्षण के बीच सही तालमेल बिठाना जरूरी है। बायोडायवर्सिटी को संरक्षित रखने के लिए संतुलित नीति की आवश्यकता है।
🔹 पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन और सस्टेनेबिलिटी मेट्रिक्स को अनिवार्य बनाया जाए। ग्रीन एनर्जी पॉलिसी अपनाने से लॉन्ग-टर्म फायदे होंगे।
🔹 स्थानीय समुदायों को सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। पब्लिक पार्टिसिपेशन से विकास योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ती है।
पीएम गति शक्ति भारत को वैश्विक व्यापार केंद्र बनाने और सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs) को पूरा करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और सस्टेनेबल ग्रोथ के बीच संतुलन बनाकर इसे और प्रभावी बनाया जा सकता है। 🚀
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