

सुबह उठिए। नॉन-स्टिक पैन उठाइए। स्नैक का पैकेट खोलिए। टेबल साफ़ कीजिए। ये सभी क्रियाएं सामान्य लगती हैं—शायद सुरक्षित भी। लेकिन ऐसा नहीं है। हर क्षण आप एक धीमे ज़हर का शिकार हो रहे हैं—एक रासायनिक आक्रमण का जो धीरे-धीरे आपकी सेहत को खोखला कर रहा है।
रसोई से लेकर सोफ़ा तक, हमारी ज़िंदगी Contaminants of Emerging Concern (CECs) यानी उभरते हुए हानिकारक रसायनों से घिरी हुई है—जैसे बर्तन, फ़र्नीचर, क्लीनिंग प्रोडक्ट्स, कॉस्मेटिक और यहां तक कि बच्चों के उत्पाद भी। और सबसे बुरा? ये रसायन सिर्फ़ आपकी चीज़ों में नहीं हैं, ये आपकी ज़िंदगी में रहते हैं।
Per- and Polyfluoroalkyl Substances (PFAS) जिन्हें “फॉरेवर केमिकल्स” कहा जाता है, पाए जाते हैं:
नॉन-स्टिक कुकवेयर में
फ़ूड पैकेजिंग में
वॉटर-रेज़िस्टेंट कपड़ों में
मेकअप और पर्सनल केयर उत्पादों में
इसके साथ ही, Persistent Organic Pollutants (POPs)—जैसे DDT, PCBs, डाइऑक्सिन और फ्यूरान जैसे रसायन:
प्राकृतिक रूप से दशकों तक नष्ट नहीं होते
मिट्टी, पानी और भोजन में जमा हो जाते हैं
कैंसर, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, और हार्मोनल समस्याओं से जुड़े हुए हैं
ये कोई औद्योगिक दुर्घटनाएं नहीं हैं। ये रसायन हर दिन आपकी ज़िंदगी में शामिल हैं।
इस 7 अप्रैल, वर्ल्ड हेल्थ डे पर हमें खुद से पूछना चाहिए:
“क्या हम अनजाने में खुद को और अपनी धरती को ज़हर दे रहे हैं?”
उत्तर है—हां। औद्योगिक गतिविधियाँ, पुरानी कृषि पद्धतियाँ और गैर-जिम्मेदार उत्पाद निर्माण ने एक ज़हरीला जाल बना दिया है जो मिट्टी से लेकर थाली तक फैल चुका है।
यहाँ तक कि जिन रसायनों जैसे DDT और aldrin को बैन किया जा चुका है, उनके अवशेष आज भी जल स्रोतों और फ़सलों के ज़रिए इंसानों को प्रभावित कर रहे हैं। फ़र्नीचर में इस्तेमाल होने वाले फ्लेम रिटार्डेंट और पैकेजिंग मटेरियल के प्लास्टिसाइज़र अब भी वातावरण में मिलकर ज़हर घोल रहे हैं।
इन रसायनों और POPs के दीर्घकालिक संपर्क का प्रभाव भयानक है:
हार्मोन बाधित: ये रसायन एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन की नकल करते हैं, जिससे बांझपन, मासिक चक्र में गड़बड़ी, गर्भपात और PCOS जैसी समस्याएं होती हैं।
न्यूरो डेवलपमेंटल डिसऑर्डर: जन्म से पहले संपर्क ADHD, ऑटिज़्म और कम IQ से जुड़ा हुआ है।
कैंसर: डाइऑक्सिन और PCBs जैसे कैंसरकारी तत्व स्तन, प्रोस्टेट और लीवर कैंसर का कारण बनते हैं।
हृदय संबंधी रोग: कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि, हाई ब्लड प्रेशर, इंसुलिन रेजिस्टेंस और मोटापा।
प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर: सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी और बच्चों-बुज़ुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
और सिर्फ इंसान ही नहीं। समुद्री जीव, शिकारी पक्षी और व्हेल जैसे स्तनधारी भी इन ज़हरीले रसायनों से प्रभावित होकर प्रजनन असफलता, जन्म दोष और जनसंख्या में भारी गिरावट का सामना कर रहे हैं।
हालांकि स्टॉकहोम कन्वेंशन जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रयास हो चुके हैं, फिर भी कई देशों—खासकर विकासशील राष्ट्रों में—इन रसायनों पर नियंत्रण के लिए संसाधन और नीतियां अब भी अपर्याप्त हैं।
दुनिया भर में PFAS और POPs के लिए कड़े नियम लागू हों
पुराने उत्पादों में छिपे प्रतिबंधित रसायनों को समाप्त किया जाए
कचरा निपटान प्रणाली को अपग्रेड करें और कर्मियों को प्रशिक्षित करें
हवा, पानी, मिट्टी और जैविक तत्वों में रसायनों की निगरानी करें
उपभोक्ताओं को सुरक्षित उत्पादों के बारे में जागरूक करें
पारंपरिक रसायनों की जगह इको-फ्रेंडली विकल्प अपनाएं
एक स्वस्थ और टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला बनाएं
आपको सरकार का इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं। आप आज ही शुरू कर सकते हैं:
नॉन-स्टिक बर्तनों की जगह कास्ट आयरन या स्टेनलेस स्टील चुनें
जैविक फल-सब्ज़ियाँ और प्राकृतिक क्लीनिंग प्रोडक्ट्स अपनाएं
प्लास्टिक की जगह काँच या स्टील के डिब्बे इस्तेमाल करें
“fragrance,” “parfum,” या “polyethylene” जैसे लेबल से बचें
वॉटरप्रूफ़ या स्टेन-रेज़िस्टेंट फैब्रिक की बजाय प्राकृतिक कपड़े चुनें
कंपनियों और नीति निर्माताओं से जवाबदेही की माँग करें
हम एक धीमे ज़हरीले संकट की ओर बढ़ रहे हैं और अब कार्रवाई का समय है। जागरूकता पहली सीढ़ी है, लेकिन असली बदलाव तब आएगा जब हम सोच-समझकर कदम उठाएंगे—अपने ख़रीदने के तरीक़े से लेकर वोट देने तक, बच्चों को सिखाने से लेकर कंपनियों को जवाबदेह ठहराने तक।
यह कोई डर फैलाने वाली बात नहीं है। यह एक वैज्ञानिक सच्चाई है। और अगर हमने अपनी सेहत और पर्यावरण के लिए आवाज़ नहीं उठाई, तो कोई और नहीं उठाएगा।
गिरिजा के. भरत, गुरुग्राम स्थित Mu Gamma Consultants की प्रबंध निदेशक हैं और पर्यावरणीय प्रदूषकों के प्रबंधन और समाधान पर काम करती हैं।
वेंकटेश राघवेंद्र, एक वैश्विक सामाजिक उद्यमी और परोपकार सलाहकार हैं, जो सुरक्षित जल तक पहुंच और युवा उद्यमिता पर कार्यरत हैं।
PFAS और POPs जैसे रसायन हर जगह हैं—रसोई, कपड़े, फ़र्नीचर और खाने तक में। ये कैंसर, बांझपन, ADHD और प्रतिरक्षा कमजोरी का कारण हैं। अब वक्त है कि आप अपनी ज़िंदगी को इनसे डिटॉक्स करें और कड़े नियमों की माँग करें। सिर्फ जानकारी नहीं, अब ज़रूरत है कार्यवाई की।
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कॉपीराइट 2022 ओजांक फाउंडेशन