

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर मापी गई भारत की खुदरा महंगाई मार्च 2025 में घटकर 3.34% हो गई, जो लगभग 6 वर्षों में सबसे कम है। यह मामूली गिरावट भी दर्शाती है कि कैसे सब्ज़ियों और प्रोटीन युक्त खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण महंगाई पर नियंत्रण पाया गया है — यह संकेत है कि भारत की अर्थव्यवस्था सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है।
फरवरी 2025 में CPI महंगाई दर थी 3.61%।
मार्च 2024 में CPI थी 4.85%।
वर्तमान 3.34% की दर अगस्त 2019 के बाद सबसे कम है, जब यह 3.28% थी।
यह गिरावट दर्शाती है कि आपूर्ति श्रृंखला में सुधार और सरकार के हस्तक्षेप ने खासकर सब्ज़ियों, दालों, और अंडों जैसी वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित रखने में मदद की है।
खाद्य महंगाई, जो खुदरा महंगाई का प्रमुख घटक है, में स्पष्ट गिरावट दर्ज की गई:
मार्च 2025: 2.69%
फरवरी 2025: 3.75%
मार्च 2024: 8.52%
यह तेज गिरावट विशेष रूप से आलू, प्याज, टमाटर जैसी सब्जियों और डेयरी व पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति में सुधार के कारण आई है।
महंगाई के इस नरम रुख ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को मौद्रिक नीति में लचीलापन बरतने का अवसर दिया है। RBI ने पिछले सप्ताह रेपो दर में 25 आधार अंक की कटौती की।
यह वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है। इसमें कटौती से कर्ज लेना सस्ता होता है और निवेश बढ़ता है।
RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए CPI महंगाई दर 4% रहने का अनुमान जताया है:
Q1 (अप्रैल–जून): 3.6%
Q2 (जुलाई–सितंबर): 3.9%
Q3 (अक्टूबर–दिसंबर): 3.8%
Q4 (जनवरी–मार्च): 4.4%
RBI के अनुसार, “जोखिम संतुलित हैं”, यानी महंगाई के अचानक बढ़ने या गिरने की संभावना फिलहाल नहीं है, जिससे नीति में स्थिरता बनी रह सकती है।
CPI के साथ-साथ थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में भी गिरावट देखी गई:
मार्च 2025 WPI: 2.05%
फरवरी 2025 WPI: 2.38%
मार्च 2024 WPI: 0.26%
यह 6 महीने का न्यूनतम स्तर है। सब्ज़ियों, आलू और अन्य खाद्य वस्तुओं की थोक कीमतों में गिरावट से यह राहत मिली है।
WPI, जहां थोक बाजार में कीमतें मापी जाती हैं, वहीं CPI खुदरा स्तर पर कीमतों को दर्शाता है। दोनों में तालमेल से यह स्पष्ट होता है कि कीमतों पर समग्र रूप से नियंत्रण पाया गया है।
उपभोक्ता विश्वास: महंगाई कम होने से घरों की क्रय शक्ति बढ़ती है।
नीतिगत स्वतंत्रता: RBI अब विकास को समर्थन देने के लिए कदम उठा सकता है।
निवेश वातावरण: स्थिर महंगाई निवेशकों को विश्वास देती है और जोखिम घटता है।
स्थिर विकास और नरम महंगाई दर के साथ, भारत की अर्थव्यवस्था 2025 की दूसरी छमाही में "गोल्डन फेज़" की ओर बढ़ सकती है।
महंगाई में यह गिरावट सुखद संकेत है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताएं जैसे कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, भू-राजनीतिक तनाव, और जलवायु परिवर्तन से आपूर्ति में बाधा बनी हुई है। इसलिए RBI का सतर्क रवैया उचित है। खाद्य आपूर्ति, ईंधन मूल्य और मौद्रिक संतुलन बनाए रखना अगले महीनों में अहम होगा।
संक्षेप में:
खुदरा महंगाई (CPI) मार्च 2025 में: 3.34% — 6 साल में सबसे कम
खाद्य महंगाई: 2.69% — पिछले साल 8.52% से गिरावट
थोक महंगाई (WPI): 2.05%
रेपो दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती
RBI का FY26 CPI अनुमान: औसतन 4%, जोखिम संतुलित
रुको ज़रा, क्योंकि आने वाले कुछ तिमाही यह तय करेंगे कि क्या ये अस्थायी राहत है या भारत में स्थायी रूप से कम महंगाई का युग शुरू हो चुका है।
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