

एक नई वैश्विक भू-राजनीतिक जंग छिड़ चुकी है—और इस बार हथियार हैं एयरक्राफ्ट्स! चीन ने अमेरिका के सबसे बड़े एयरक्राफ्ट निर्माता बोइंग की डिलीवरीज़ को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया है। और ये कोई मामूली फैसला नहीं है—बात हो रही है 130+ हाई-कॉस्ट बोइंग जेट्स की डिलीवरी को रोकने की, जिसकी वैल्यू करीब 40 बिलियन डॉलर है।
ट्रंप प्रशासन ने चाइनीज गुड्स पर लगाया 145% तक का भारी टैरिफ।
अमेरिका चाहता है मैन्युफैक्चरिंग वापस US में आए, चाइना की डिपेंडेंसी खत्म हो।
इसके जवाब में चीन ने बोइंग डिलीवरी को टारगेट करते हुए “ट्रेड वेपनाइजेशन” का रास्ता अपनाया।
बोइंग की 15% ग्लोबल सेल्स अकेले चाइना को होती हैं।
2025–2027 के बीच में चाइना को मिलने थे:
एयर चाइना – 45+
चाइना ईस्टर्न – 35+
चाइना सदर्न – 50+
हेनान एयरलाइंस – 10+
2023 में 60 प्लेन्स डिलीवर हुए थे, अगले कुछ वर्षों में 150 और डिलीवरी होनी थी।
बोइंग पहले से ही जूझ रहा था:
737 मैक्स डिले, 787 ड्रीमलाइनर में खामी,
सेफ्टी इन्वेस्टिगेशन,
वर्कर स्ट्राइक,
शेयर प्राइस में 6% गिरावट।
एयरबस पहले से ही तियांजिन, चीन में A320 और A350 बना रहा है।
यूरोप चाइना के साथ नजदीकी बना सकता है, अमेरिका से दूरी।
अमेरिका के साथ ट्रंप की नीति से यूरोप पहले से ही परेशान है।
COMAC (Commercial Aircraft Corporation of China) को मिलेगा मौका।
अभी क्वालिटी उतनी नहीं है लेकिन दीर्घकाल में सेल्फ-रिलायंस का लक्ष्य।
चीन का सपना: एयरक्राफ्ट इंपोर्ट फ्री बनना।
एयरक्राफ्ट ऑर्डर सिर्फ कमर्शियल नहीं, स्ट्रैटेजिक लीवरेज है।
चीन ने अमेरिका के महत्वपूर्ण एक्सपोर्ट आइटम्स—रेयर अर्थ मेटल्स, मैग्नेट्स पर भी रोक लगा दी।
इनका उपयोग: मिसाइल, ड्रोन, इलेक्ट्रिक कार, सेमीकंडक्टर, रोबोट्स में होता है।
ट्रंप चाहते थे ट्रेड डेफिसिट कम हो, चाइना इंपोर्ट ना करे तो उल्टा होगा असर।
चाइना का हर एयरक्राफ्ट ऑर्डर – बिलियन डॉलर वैल्यू।
अमेरिका के एरोस्पेस सेक्टर को सीधा झटका।
भारत में 22 एयरलाइंस, चाइना में 67। लेकिन भारत कर रहा है जबरदस्त ग्रोथ।
चाइना में एयरक्राफ्ट संख्या – 4128+, भारत में – 740 (5 गुना अंतर!)
भारत ने बोइंग को दिया है 500+ प्लेन्स का ऑर्डर (Air India, Indigo सहित)
चाइना के ऑर्डर कैंसिल होने से भारत को डिलीवरी पहले मिल सकती है।
बोइंग करेगा लॉबिंग – टैरिफ में ढील, डिलीवरी रिस्टार्ट की कोशिश।
फोकस डायवर्ट करेगा भारत, मिडिल ईस्ट, लैटिन अमेरिका की ओर।
ट्रंप सरकार शायद एयरक्राफ्ट डील में कुछ रणनीतिक बदलाव करे।
चाइना ने बोइंग को सस्पेंड कर अमेरिका की ट्रेड सुप्रीमेसी को सीधी चुनौती दी है।
अमेरिका और चीन का आर्थिक युद्ध अब सप्लाई चेन, एरोस्पेस और टेक्नोलॉजी तक पहुंच चुका है।
भारत के लिए ये एक टेक्टोनिक शिफ्ट हो सकता है—जहां एक तरफ दुनिया लड़ रही है, वहीं भारत मौका पकड़ सकता है।
Q1: क्या बोइंग का बिजनेस चीन के बिना टिक सकता है?
A: मुश्किल तो जरूर है, लेकिन भारत, मिडिल ईस्ट, लैटिन अमेरिका नए रास्ते बन सकते हैं।
Q2: क्या भारत को जल्दी डिलीवरी मिल सकती है?
A: हां, अगर चीन ने ऑर्डर कैंसिल कर दिया तो भारत को प्रायोरिटी स्लॉट मिल सकता है।
Q3: एयरबस को फायदा कैसे मिलेगा?
A: चीन अब अपने ऑर्डर एयरबस को शिफ्ट कर सकता है क्योंकि बोइंग ब्लॉक हो गया है।
Q4: क्या COMAC अमेरिका और एयरबस का विकल्प बन सकता है?
A: अभी नहीं, लेकिन लंबी दौड़ में चाइना उसी दिशा में बढ़ रहा है।
अब आपकी बारी!
क्या आपको लगता है भारत इस मौके का सही फायदा उठा पाएगा?
क्या COMAC कभी बोइंग और एयरबस को टक्कर दे पाएगा?
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और हां, यही असली UPSC वाला एंगल है!
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