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उत्कर्ष’ का शुभारंभ: भारतीय नौसेना के लिए दूसरा मल्टी-पर्पज वेसल

21-01-2025

भारतीय नौसेना ने 13 जनवरी 2025 को अपने दूसरे मल्टी-पर्पज वेसल (एमपीवी) उत्कर्ष का शुभारंभ किया। यह समारोह चेन्नई के एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली में आयोजित किया गया था और इसमें रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह शामिल हुए।

 

अन्य प्रमुख अतिथियों में वाइस एडमिरल बी. शिवकुमार, कंट्रोलर ऑफ वारशिप प्रोडक्शन एंड एक्विज़िशन; श्री जयंत दामोदर पाटिल, सलाहकार, सीएमडी; और श्री अरुण रामचंदानी, प्रमुख, एलएंडटी पीईएस उपस्थित थे।

 

समुद्री परंपराओं का पालन करते हुए, जहाज का शुभारंभ रक्षा सचिव की पत्नी डॉ. श्रीमती सुष्मिता मिश्रा सिंह द्वारा किया गया। उत्कर्ष नाम का अर्थ है ‘श्रेष्ठता’ और यह अपने बहु-आयामी कार्यों की क्षमताओं को दर्शाता है।

 


 

स्वदेशी जहाज निर्माण में आधुनिक चमत्कार

 

उत्कर्ष एक अनुबंध का हिस्सा है, जिसे 25 मार्च 2022 को रक्षा मंत्रालय और एलएंडटी शिपयार्ड के बीच हस्ताक्षरित किया गया था। ये वेसल आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहलों के तहत रक्षा निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

 

उत्कर्ष की मुख्य विशेषताएं और क्षमताएं:

 

  • मल्टी-रोल फंक्शनलिटी:

    • जहाजों को खींचने की क्षमता।
    • विभिन्न लक्ष्यों को लॉन्च और रिकवर करना।
    • मानवरहित स्वायत्त वाहनों का संचालन।
    • स्वदेशी हथियारों और सेंसरों के परीक्षण प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करना।

 

  • प्रभावशाली विशिष्टताएं:

    • लंबाई: 106 मीटर।
    • अधिकतम गति: 15 नॉट्स।

 

इस जहाज का उन्नत डिज़ाइन और क्षमताएं रक्षा प्रौद्योगिकी और समुद्री नवाचार में भारत की बढ़ती प्रगति को प्रदर्शित करती हैं।

 


 

भारत की नौसैनिक शक्ति को मजबूत करना

 

उत्कर्ष का शुभारंभ भारतीय नौसेना की संचालनात्मक तैयारी को बढ़ाने और स्वदेशी जहाज निर्माण को समर्थन देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह रक्षा मंत्रालय और निजी भारतीय उद्यमों जैसे एलएंडटी शिपयार्ड के बीच सहयोग का प्रमाण है।

 

ऐसे उन्नत जहाजों के निर्माण की जिम्मेदारी भारतीय कंपनियों को सौंपकर, सरकार महत्वपूर्ण रक्षा बुनियादी ढांचे में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के अपने संकल्प को मजबूत करती है, साथ ही आर्थिक विकास और प्रौद्योगिकी में प्रगति को भी प्रोत्साहन देती है।

 


 

निष्कर्ष

 

उत्कर्ष का शुभारंभ भारत की समुद्री यात्रा में सिर्फ एक और मील का पत्थर नहीं है—यह आत्मनिर्भरता, प्रौद्योगिकी नवाचार, और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है।

 

यह स्वदेशी जहाज निर्माण में भविष्य की परियोजनाओं के लिए एक मानक स्थापित करता है और वैश्विक मंच पर भारत की नौसैनिक क्षमताओं को मजबूत करता है।

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