प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव:
- नैतिक और पारदर्शी एआई प्रणाली: एआई के नैतिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की आवश्यकता है।
- नियमन और नवाचार का संतुलन: कठोर नियमों से बचते हुए ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो नवाचार को बाधित न करें।
- विकासशील देशों की भागीदारी: एआई विकास और नियम-निर्माण में सभी देशों को समान अवसर मिलें।
- एआई के सामाजिक प्रभावों पर ध्यान: एआई का प्रभाव न केवल अर्थव्यवस्था बल्कि राजनीति और सुरक्षा पर भी पड़ता है, इसलिए सभी पहलुओं पर विचार जरूरी है।
- सुरक्षा उपायों का विकास: एआई से उत्पन्न खतरों को कम करने के लिए साइबर सुरक्षा उपायों और डेटा सुरक्षा कानूनों को मजबूत करना आवश्यक है।
एआई शासन को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के उपाय:
- वैश्विक सहयोग और नीति समन्वय:
- G20 और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर एआई के लिए वैश्विक दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं।
- एआई से जुड़े शोध और विकास को साझा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़े।
- उत्तरदायी एआई फ्रेमवर्क:
- एआई निर्णय लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एल्गोरिदम ऑडिट और ओपन-सोर्स मॉडल अपनाए जाएं।
- डीपफेक और भ्रामक सूचनाओं को रोकने के लिए मजबूत तंत्र विकसित किए जाएं।
- समावेशी एआई विकास:
- एआई अनुसंधान और डेटा तक सभी देशों को समान पहुंच हो।
- विकासशील देशों की डिजिटल अवसंरचना को मजबूत किया जाए।
- सुरक्षा और निजता संरक्षण:
- व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा उपाय अपनाए जाएं।
- डेटा गोपनीयता से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी ने एआई के विकास और नियमन के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए वैश्विक सहयोग, मजबूत नीतियां, और समावेशी विकास आवश्यक हैं।अधिक जानकारी के लिए पढ़ें - 360⁰ समाचार पत्र विश्लेषण
