ग्रीनहाउस प्रभाव और वैश्विक ऊष्मीकरण (Global Warming) पर विस्तृत चर्चा कीजिए। इसके प्रभावों और नियंत्रण के उपायों को स्पष्ट कीजिए।
18-04-2025
परिचय
ग्रीनहाउस प्रभाव (Greenhouse Effect) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो पृथ्वी को रहने योग्य बनाए रखती है।
हालाँकि, मानव गतिविधियों के कारण ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ रही है, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, जिसे वैश्विक ऊष्मीकरण (Global Warming) कहा जाता है।
ग्रीनहाउस प्रभाव की प्रक्रिया
पृथ्वी सूर्य से ऊष्मा प्राप्त करती है।
पृथ्वी की सतह से यह ऊष्मा अंतरिक्ष में परावर्तित होती है।
ग्रीनहाउस गैसें (CO₂, CH₄, N₂O, O₃) इस ऊष्मा को अवशोषित करके पृथ्वी के तापमान को बनाए रखती हैं।
जब ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा अधिक हो जाती है, तो यह अतिरिक्त ऊष्मा को रोक लेती है, जिससे तापमान बढ़ जाता है।
वैश्विक ऊष्मीकरण के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन – तापमान वृद्धि के कारण मौसमी पैटर्न में परिवर्तन।
समुद्र स्तर में वृद्धि – ध्रुवीय बर्फ पिघलने से समुद्रों का स्तर बढ़ रहा है।
ग्लेशियरों का पिघलना – हिमालय, आर्कटिक और अंटार्कटिका में बर्फ का तेजी से पिघलना।
खाद्य सुरक्षा संकट – कृषि उत्पादन में गिरावट, सूखा और बाढ़ की बढ़ती घटनाएँ।
प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि – चक्रवात, बवंडर और सुनामी की तीव्रता बढ़ रही है।
जैव विविधता संकट – कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर।
नियंत्रण के उपाय
नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग – सौर, पवन और जलविद्युत ऊर्जा को अपनाना।
कार्बन उत्सर्जन में कटौती – जीवाश्म ईंधनों की खपत को कम करना।
वृक्षारोपण और वनीकरण – जंगलों का संरक्षण और पुनर्वनीकरण।
ग्रीन टेक्नोलॉजी का विकास – इलेक्ट्रिक वाहन, ऊर्जा कुशल तकनीक।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग – पेरिस समझौता, क्योटो प्रोटोकॉल जैसे जलवायु समझौते।
निष्कर्ष
वैश्विक ऊष्मीकरण एक गंभीर चुनौती है, जिसका समाधान अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सतत विकास से ही संभव है।
हमें "Reduce, Reuse, Recycle" की नीति अपनाकर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करना होगा।