1. नदियों द्वारा भू-आकृतिक निर्माण
- नदियाँ क्षरण (Erosion), परिवहन (Transportation) और निक्षेपण (Deposition) की प्रक्रियाओं से लैंडफॉर्म बनाती हैं।
- क्षरणात्मक भू-आकृतियाँ (Erosional Landforms)
- जलप्रपात (Waterfall) – कठोर एवं नरम चट्टानों के अंतर के कारण बनता है।
- गॉर्ज और कैनियन – लंबवत गहरी घाटियाँ, उदाहरण: ग्रांड कैनियन।
- निक्षेपणात्मक भू-आकृतियाँ (Depositional Landforms)
- बाढ़ मैदान (Flood Plains) – नदी के निक्षेपण से बनते हैं।
- डेल्टा (Delta) – नदी के मुहाने पर बनने वाला समतल क्षेत्र, जैसे सुंदरबन डेल्टा।
2. हिमनदों (Glaciers) द्वारा भू-आकृतिक निर्माण
- हिमनद बर्फ से ढके क्षेत्र होते हैं, जो धीरे-धीरे भूमि को काटकर विभिन्न आकृतियाँ बनाते हैं।
- क्षरणात्मक लक्षण
- U-आकार की घाटियाँ (U-Shaped Valleys) – हिमनदों द्वारा बनाई गई चौड़ी घाटियाँ।
- सरकंडा घाटी (Cirques) – अर्धगोलाकार घाटियाँ।
- निक्षेपणात्मक लक्षण
- मोराइन (Moraines) – हिमनद द्वारा छोड़े गए चट्टानी अवशेष।
3. समुद्री लहरों (Sea Waves) द्वारा भू-आकृतिक निर्माण
- समुद्री लहरें लगातार तटीय चट्टानों पर प्रहार करके विभिन्न आकृतियाँ बनाती हैं।
- क्षरणात्मक लक्षण
- समुद्री गुफाएँ (Sea Caves) – लहरों के लगातार टकराने से चट्टानों में गुफाएँ बनती हैं।
- समुद्री मेहराब (Sea Arch) – गुफाओं के विकसित होने से मेहराब का निर्माण।
- निक्षेपणात्मक लक्षण
- समुद्र तट (Beaches) – समुद्री लहरों द्वारा रेत का जमाव।
- बालू के टिब्बे (Sand Dunes) – रेगिस्तानी और तटीय क्षेत्रों में बनने वाले रेत के ढेर।
(15)-1744979931366.png)