I. उत्पत्ति और प्रारंभिक चरण:
- भारत में शिला-कृत स्थापत्य की शुरुआत मौर्य काल में मानी जाती है।
- बाराबर गुफाएं (3rd BCE) – अशोक द्वारा आजीवक संप्रदाय को समर्पित गुफाएं इस शैली की पहली मिसाल हैं।
- प्रारंभिक निर्माण धार्मिक उद्देश्यों से — जैसे बौद्ध विहार, चैत्यगृह।
II. विकास की क्रमिक अवस्था:
- गुप्तकाल (4th-6th CE) – गुफाओं में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ उकेरी जाने लगीं।
- चालुक्य व राष्ट्रकूट काल (6th–9th CE) – बादामी, एलोरा में उत्कृष्ट उदाहरण।
- पल्लव वंश (7th CE) – महाबलीपुरम में रथ शैली के मंदिरों का निर्माण।
III. तकनीकी एवं स्थापत्य विशेषताएँ:
- चट्टान की एकलता से निर्मित मंदिर – Structural temples से भिन्न।
- आंतरिक मंडप, गर्भगृह, स्तंभ व मूर्तिकला का एकात्म संयोजन।
- सामग्री: मुख्यतः बेसाल्ट व ग्रेनाइट चट्टानें।
IV. प्रमुख उदाहरण:
- एलोरा का कैलासनाथ मंदिर – एक चट्टान से तराशा गया विशाल हिन्दू मंदिर।
- अजंता की गुफाएं – बौद्ध चित्र व मूर्तिकला का उत्कृष्ट समन्वय।
- महाबलीपुरम रथ मंदिर – पल्लव स्थापत्य की भव्यता।
V. निष्कर्ष:
शिला-कृत स्थापत्य, धार्मिक समन्वय, तकनीकी कौशल और कला की पराकाष्ठा का प्रतीक है, जो भारतीय सांस्कृतिक विरासत में अद्वितीय स्थान रखता है।
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