The ojaank Ias

EPFO पेंशन संकट 2025: पारदर्शिता, सुधार और अधिक भुगतान की आवश्यकता

03-04-2025

परिचय
 

भारत की पेंशन सुरक्षा प्रणाली बिखर रही है — और इसका बोझ करोड़ों EPFO सदस्य-पेंशनधारी झेल रहे हैं। जैसे-जैसे महंगाई बढ़ रही है, कर्मचारियों की पेंशन योजना (EPS) 1995 के तहत वर्तमान ₹1,000 मासिक न्यूनतम पेंशन अब न केवल पुरानी बल्कि अपर्याप्त भी हो गई है। एक दशक बीत चुका है, लेकिन केंद्र सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। स्थिति सिर्फ गंभीर नहीं, बल्कि अन्यायपूर्ण है।
 



₹1,000 की न्यूनतम पेंशन: एक राष्ट्रीय शर्म
 

श्रम, वस्त्र और कौशल विकास पर संसद की स्थायी समिति ने अपने 2025–26 अनुदान मांगों में इस बात को उचित रूप से उजागर किया है कि ₹1,000 मासिक पेंशन की राशि कितनी अवास्तविक है। अगस्त 2014 में लागू की गई यह राशि आज तक जस की तस बनी हुई है, जबकि महंगाई और जीवन यापन की लागत तेजी से बढ़ी है।

 

कर्मचारियों की पेंशन योजना (EPS) 1995EPS 1995 क्या है? फायदे और चुनौतियाँ

 

याद रखें: यह "सुधार" वास्तव में यूपीए सरकार की योजना थी। विडंबना यह है कि वही भाजपा नेता जिन्होंने विपक्ष में रहते हुए इस पेंशन को “मजाक” कहा था, आज इसे अपनी उपलब्धि बताकर श्रेय ले रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने उस समय इस राशि को बढ़ाकर कम से कम ₹3,000 करने की मांग की थी। आज यह मांग पहले से भी अधिक जरूरी हो गई है।
 

न्यूनतम पेंशन वृद्धि की माँग₹3,000–₹5,000 पेंशन क्यों ज़रूरी है?

 



आंकड़े एक भयावह तस्वीर पेश करते हैं
 

वर्तमान में केंद्र सरकार हर साल लगभग ₹980 करोड़ इस न्यूनतम पेंशन पर खर्च करती है — जो EPS के तहत 23 लाख से अधिक पेंशनधारियों के लिए नाकाफी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस राशि को कम से कम तीन गुना बढ़ाया जाना चाहिए।

बजट आवंटन विवरण:

  • वर्तमान वार्षिक खर्च: ₹980 करोड़

  • EPS के लिए केंद्र का योगदान: वेतन का 1.16% (₹15,000/माह तक सीमित)

  • 2024–25 के लिए योगदान राशि: ₹9,250 करोड़

  • 2025–26 के लिए अनुमानित राशि: ₹10,000 करोड़ से अधिक

इसके बावजूद सरकार यह कहकर पल्ला झाड़ रही है कि वह “अतिरिक्त बोझ” नहीं उठा सकती — जबकि श्रम और वित्त मंत्रालयों को कई व्यवहारिक समाधान पहले ही सौंपे जा चुके हैं।

 

EPS के लिए सरकार का बजट आवंटनभारत में पेंशन योजनाओं के लिए बजट कैसे आवंटित होता है?



उच्च पेंशन योजना में अराजकता: न स्पष्टता, न संवाद
 

EPFO द्वारा उच्च वेतन के आधार पर पेंशन लेने वाले कर्मचारियों के दावों को जिस तरह से संभाला जा रहा है, वह बेहद चिंता का विषय है। कई आवेदकों को अचानक लाखों रुपये की मांग नोटिस भेजी जा रही है — बिना किसी स्पष्ट विवरण या पूर्व सूचना के।

और भी चिंताजनक बात यह है कि EPFO द्वारा न तो पेंशन की राशि की गणना, न बकाया राशि, और न ही किसी प्रक्रिया की जानकारी दी जा रही है। आवेदकों को एक ऑनलाइन कैलकुलेटर के भरोसे छोड़ दिया गया है — जिस पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह “अनौपचारिक” है। यह डिजिटल प्रशासन की विफलता है।

छूट प्राप्त प्रतिष्ठानों के पेंशनधारियों की हालत और भी बदतर है। उनकी उच्च पेंशन की आवेदन फॉर्म को सीधे खारिज कर दिया गया है और कई मामलों में पहले से स्वीकृत पेंशन को भी बिना कारण रोक दिया गया है। यह विश्वासघात से कम नहीं है।
 

उच्च पेंशन गणना समस्याएँEPFO उच्च पेंशन गणना: सच्चाई बनाम भ्रम

 



तत्काल उठाए जाने वाले कदम
 

इस असमान व्यवस्था को ठीक करने के लिए केंद्र सरकार को तत्काल ये कदम उठाने चाहिए:

1. न्यूनतम पेंशन में संशोधन करें

  • इसे महंगाई और जीवन स्तर के अनुसार तय करें।

  • विशेषज्ञ ₹3,000–₹5,000 की न्यूनतम पेंशन की सिफारिश करते हैं।

2. पारदर्शी संवाद सुनिश्चित करें

  • हर पेंशन दावे या अद्यतन की आधिकारिक जानकारी दी जाए।

  • Disclaimer वाले कैलकुलेटर पर निर्भरता बंद करें।

3. अस्वीकृत दावों की समीक्षा करें

  • खासकर छूट प्राप्त प्रतिष्ठानों के पेंशनधारियों के लिए।

  • न्यायपूर्ण प्रक्रिया अपनाएं और लिखित स्पष्टीकरण दें।

4. स्टेकहोल्डर परामर्श आयोजित करें

  • इसमें यूनियन, पेंशनधारी संगठन, श्रम अर्थशास्त्री और नागरिक समाज को शामिल करें।

  • पारदर्शी संवाद से नीति में भरोसा और व्यावहारिकता आएगी।

 

डिजिटल नौकरशाही और पेंशन प्रक्रियाEPFO की डिजिटल पेंशन गणना में खामियाँ

 



निष्कर्ष: पेंशन कोई दया नहीं — यह कमाई का अधिकार है
 

भारत अपने वृद्ध कामगारों को उपेक्षित करके विकास की ओर नहीं बढ़ सकता। ये पेंशन किसी का उपकार नहीं — यह उन लोगों की मेहनत की कमाई है जिन्होंने इस देश की नींव रखी। केंद्र को आगे आकर इस व्यवस्था को पारदर्शी, न्यायपूर्ण और मानवीय बनाना ही होगा।

सच्चाई ये है: एक विकसित भारत की नींव सिर्फ बुलंद इमारतों से नहीं, बल्कि अपने बुज़ुर्गों के साथ न्याय करने से बनती है। एक मजबूत और न्यायपूर्ण पेंशन प्रणाली सिर्फ नीति नहीं — यह नैतिक ज़िम्मेदारी है।
 



क्या आप या आपके जानने वाले EPFO पेंशन से जुड़ी परेशानियों का सामना कर रहे हैं? यह ब्लॉग शेयर करें और आवाज़ उठाएं। अब समय है, न्याय की मांग करने का।

कॉपीराइट 2022 ओजांक फाउंडेशन