'कलक्कडल' शब्द मलयालम के दो शब्दों 'कल्लन' (चोर) और 'कडल' (समुद्र) से बना है, जिसका अर्थ है अचानक समुद्र का चोर की तरह आना। यह अनोखी प्राकृतिक घटना अचानक समुद्री लहरों का कारण बनती है, जिससे तटीय क्षेत्रों में खतरनाक स्थितियां पैदा होती हैं।
इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इन्फॉर्मेशन सर्विसेज (INCOIS) के अनुसार, यह घटना दक्षिण भारतीय महासागर में तेज हवाओं के कारण होती है, जो बिना किसी पूर्व चेतावनी के लहरें उत्पन्न करती हैं।
15 जनवरी को, केरल और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में 'कलक्कडल' गतिविधि की संभावना के कारण हाई अलर्ट जारी किया गया है। INCOIS ने 0.5 से 1.0 मीटर ऊंची लहरों और समुद्र के उफान की संभावना की भविष्यवाणी की है। इसके प्रभावों में तटीय कटाव और स्थानीय समुद्री गतिविधियों में रुकावट शामिल हो सकते हैं।
जोखिमों को कम करने के लिए, केरल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (KSDMA) ने व्यापक सुरक्षा सलाह जारी की है:
मछली पकड़ने और समुद्री गतिविधियाँ:
तटीय निवासियों और मछुआरों से आग्रह किया गया है कि:
पर्यटन पर प्रतिबंध:
आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समुद्र तट पर्यटन गतिविधियों पर चेतावनी वापस लिए जाने तक प्रतिबंध लगाया गया है।
खतरनाक क्षेत्रों से स्थानांतरण:
कटाव प्रवण तटीय क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों को स्थानीय प्राधिकरण के मार्गदर्शन में अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
अतिरिक्त सतर्कता:
तटीय निवासी अचानक समुद्री लहरों और संबंधित खतरों के जोखिमों के प्रति सतर्क रहें।
'कलक्कडल' की अचानक और अप्रत्याशित प्रकृति इसे विशेष रूप से खतरनाक बनाती है। ये लहरें:
वास्तविक समय के अपडेट और अलर्ट INCOIS और स्थानीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों से प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। निवासियों को प्रोत्साहित किया जाता है कि:
'कलक्कडल' घटना तटीय क्षेत्रों की कमजोरियों को अप्रत्याशित प्राकृतिक घटनाओं के प्रति उजागर करती है। सूचित और तैयार रहकर, केरल और तमिलनाडु के निवासी इसके प्रभाव से जीवन और जीविका को सुरक्षित कर सकते हैं।
आइए सुरक्षा को प्राथमिकता दें और जोखिमों को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए विशेषज्ञों की सिफारिशों का पालन करें।
तटीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन पर अधिक अपडेट के लिए, INCOIS और KSDMA जैसे विश्वसनीय स्रोतों से जुड़े रहें।
सुरक्षित रहें, तैयार रहें!
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