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वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2025 की व्याख्या: मुख्य बदलाव, विवाद और प्रभाव

04-04-2025

विषय सूची (Table of Contents)
 

  • वक़्फ़ अधिनियम की समझ

  • संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

  • वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2025 में 10 प्रमुख बदलाव

  • आलोचना और विरोध

  • सरकार और सहयोगियों का समर्थन

  • निष्कर्ष: आगे क्या?
     



वक़्फ़ अधिनियम की समझ
 

वक़्फ़ अधिनियम, 1995, भारत में वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन को नियंत्रित करता है। वक़्फ़ का अर्थ है किसी चल या अचल संपत्ति को धार्मिक, पुण्य या परोपकारी कार्यों के लिए इस्लामी कानून के अनुसार स्थायी रूप से समर्पित करना।

इन संपत्तियों का प्रशासन राज्य और केंद्रीय वक़्फ़ बोर्डों द्वारा किया जाता है। इनमें मस्जिदें, कब्रिस्तान, स्कूल, अनाथालय और दरगाहें शामिल हैं। वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2025 इस पुराने ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव लाने जा रहा है।

 

🌐 पढ़ें: भारत में वक़्फ़ की समझ – वक़्फ़ संपत्तियों के इतिहास, कानूनी ढांचे और प्रशासन पर गहराई से जानकारी।


 



संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी?
 

सरकार के अनुसार, यह संशोधन निम्नलिखित लक्ष्यों की पूर्ति हेतु लाया गया है:

  • पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना

  • वक़्फ़ संपत्तियों के दुरुपयोग और अवैध कब्जों को समाप्त करना

  • विवादों का त्वरित समाधान

  • आधुनिक तकनीक के माध्यम से संपत्ति प्रबंधन

  • समावेशिता के जरिए धर्मनिरपेक्षता को मज़बूती देना

हालांकि, आलोचकों का मानना है कि यह कदम केंद्रीकरण की ओर बढ़ता है और धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है।
 



वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2025 में 10 प्रमुख बदलाव
 

1. 'यूज़र द्वारा वक़्फ़' की अवधारणा को बरकरार रखना
 

पहले इस सिद्धांत को हटाने का प्रस्ताव था, जो बिना दस्तावेज़ी सबूत के सामुदायिक उपयोग के आधार पर वक़्फ़ संपत्ति को मान्यता देता है।
क्या बदला:
अब यह सिद्धांत केवल उन संपत्तियों पर लागू होगा जो पहले से पंजीकृत हैं। भविष्य में केवल दस्तावेज़ आधारित दावे मान्य होंगे।

विवाद:
ऐतिहासिक संपत्तियों की रक्षा तो होगी, लेकिन पारंपरिक अभ्यासों की अनदेखी हो सकती है।

 

🌐 जानें: उपयोग द्वारा वक़्फ़ सिद्धांत – बिना दस्तावेज़ी प्रमाण के भी सतत उपयोग पर आधारित वक़्फ़ संपत्तियों का कानूनी और ऐतिहासिक महत्व।

 



2. गैर-मुस्लिमों की वक़्फ़ संस्थाओं में भागीदारी
 

अब गैर-मुस्लिम व्यक्ति भी निम्नलिखित में नियुक्त किए जा सकते हैं:

  • केंद्रीय वक़्फ़ परिषद

  • राज्य वक़्फ़ बोर्ड

  • वक़्फ़ ट्राइब्यूनल

महत्वपूर्ण:
कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्य अनिवार्य रूप से इन बोर्डों में शामिल होंगे। वक़्फ़ बोर्ड के CEO के मुस्लिम होने की शर्त भी हटा दी गई है।

प्रभाव:
सरकार इसे पारदर्शिता का कदम बता रही है, जबकि विरोधियों को यह धार्मिक संस्थानों में हस्तक्षेप लगता है।

 

🌐 और जानें: वक़्फ़ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों का समावेश – 2025 संशोधन कैसे वक़्फ़ प्रशासन की संरचना को बदलता है।

 



3. सर्वेक्षण में सरकार की अधिक निगरानी
 

पहले ज़िला कलेक्टर द्वारा सर्वेक्षण होते थे। अब केवल कलेक्टर से ऊपर के अधिकारी विवादास्पद संपत्तियों का सर्वे करेंगे।

नवीन शक्ति:
यह अधिकारी वक़्फ़ ट्राइब्यूनल की जगह अंतिम निर्णयकर्ता होंगे।

प्रभाव:
वक़्फ़ बोर्ड की स्वायत्तता घटेगी और निर्णय प्रक्रिया राजनीतिक रंग ले सकती है।

 

🌐 पढ़ें: वक़्फ़ सर्वेक्षणों में सरकारी हस्तक्षेप – सर्वेक्षण प्राधिकरण में बदलाव और वक़्फ़ बोर्ड की स्वायत्तता पर प्रभाव।

 



4. केंद्रीय पंजीकरण पोर्टल की स्थापना
 

एक डिजिटल क्रांति! अब एक केंद्रीय पोर्टल पर सभी वक़्फ़ संपत्तियों की जानकारी अपलोड की जाएगी।

नियम:

  • 6 महीने के अंदर सभी संपत्तियों का विवरण दर्ज करना होगा।

  • नए वक़्फ़ को डिजिटल रूप से पंजीकृत किया जाएगा।

डेडलाइन मिस की तो?
संतोषजनक कारण होने पर वक़्फ़ ट्राइब्यूनल समय सीमा बढ़ा सकते हैं।

 



5. लिमिटेशन अधिनियम, 1963 की लागूता
 

1995 के अधिनियम में वक़्फ़ बोर्ड को समय सीमा से छूट मिली थी।
अब क्या बदलेगा?
धारा 107 को हटाया जा रहा है। अब 12 साल की सीमा लागू होगी।

विवाद:
आलोचकों का कहना है कि इससे अवैध कब्जों को वैधता मिल जाएगी।

 



6. वक़्फ़ ट्राइब्यूनलों का पुनर्गठन
 

अब ट्राइब्यूनल में होंगे 3 सदस्य:

  • एक ज़िला न्यायाधीश

  • एक संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी

  • मुस्लिम कानून का विशेषज्ञ

जारी रखने का प्रावधान:
पुराने ट्राइब्यूनल तब तक काम करेंगे जब तक उनके अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त नहीं होता।

 



7. CEO के धार्मिक पहचान की अनिवार्यता समाप्त
 

अब वक़्फ़ बोर्ड का CEO कोई भी योग्य व्यक्ति हो सकता है — धर्म की बाध्यता नहीं।

प्रतिक्रिया:
कुछ लोग इसे धार्मिक समझ की अनदेखी मानते हैं, तो कुछ इसे धर्मनिरपेक्षता की ओर एक कदम कहते हैं।

 



8. वक़्फ़ घोषित करने की शक्ति अब बोर्ड के पास नहीं
 

अब यह शक्ति केवल वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के पास होगी, जो सर्वेक्षण के बाद निर्णय लेंगे। बोर्ड को उनके निर्देशों के अनुसार रिकॉर्ड संशोधित करना होगा।
 



9. न्यायिक समीक्षा और अपील का अधिकार
 

अब हाई कोर्ट में वक़्फ़ ट्राइब्यूनल के फैसले के खिलाफ 90 दिन के अंदर अपील की जा सकेगी।

सकारात्मक पहलू:
यह निर्णय प्रक्रिया में न्यायिक पारदर्शिता लाएगा।

शर्त:
केवल पंजीकृत वक़्फ़ संपत्तियों पर मुकदमे किए जा सकेंगे।

🌐 देखें: वक़्फ़ ट्रिब्यूनलों में न्यायिक समीक्षा – नए ट्रिब्यूनल ढांचे और अपील अधिकारों की गहरी जानकारी।

 



10. धार्मिक पहचान और दानदाताओं की पात्रता
 

अब वक़्फ़ घोषित करने वाले व्यक्ति को पिछले 5 वर्षों से इस्लाम का पालन करने वाला होना चाहिए।

विवाद:
इससे हाल ही में धर्म परिवर्तन करने वाले या सद्भावना से दान देने वाले गैर-मुस्लिम व्यक्ति बाहर हो सकते हैं।

 

🌐 समझें: 2025 में वक़्फ़ घोषित करने की प्रक्रिया – वक़्फ़ स्थापित करने के लिए कानूनी आवश्यकताएँ और धार्मिक पूर्वापेक्षाएँ।

 



आलोचना और विरोध
 

कौन बोल रहा है?

  • विपक्षी पार्टियाँ इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मान रही हैं।

  • मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कह रहा है।

  • AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे भूमि हड़पने की साजिश बताया है।
     



सरकार और सहयोगियों का समर्थन
 

JD(U) ने विधेयक का समर्थन किया है लेकिन रेट्रोस्पेक्टिव प्रभाव न डालने की मांग की है।

सरकार का पक्ष:
"हम वक़्फ़ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोककर राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दे रहे हैं।"

 



निष्कर्ष: आगे क्या?
 

वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2025 सिर्फ एक कानूनी परिवर्तन नहीं है — यह एक सामाजिक और राजनीतिक टकराव का केंद्र है।

एक ओर:
यह पारदर्शिता, डिजिटलीकरण और आधुनिक शासन का वादा करता है।

दूसरी ओर:
यह धार्मिक स्वतंत्रता, भूमि अधिकारों और अल्पसंख्यक भागीदारी को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।

क्या होगा असर?
यह कानून वक़्फ़ प्रणाली को आधुनिक बनाएगा या समुदाय की पकड़ कमजोर करेगा — इसका फैसला समय और शायद सुप्रीम कोर्ट ही करेगा।

 



अंतिम विचार:
 

सुधारों का उद्देश्य समावेश और पारदर्शिता होना चाहिए, न कि समुदाय की उपेक्षा। शासन में ट्रस्ट, न कि केवल टेक्नोलॉजी, सर्वोपरि है।

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