I. प्रमुख विशेषताएँ:
- एक चट्टान से तराशे गए मंदिर – वास्तुशिल्प की तकनीकी पराकाष्ठा।
- धार्मिक बहुलता – हिन्दू, बौद्ध व जैन धर्मों से संबंधित निर्माण।
- विस्तृत मूर्तिकला – देवी-देवताओं, जातक कथाओं, प्रतीक चिह्नों का अंकन।
- मंडप, गर्भगृह, स्तंभों की योजना – एक मंदिर के समस्त अंग निर्मित होते हैं।
II. प्रमुख उदाहरण व क्षेत्रीय विविधता:
- अजंता (महाराष्ट्र) – बौद्ध चित्रकला और मूर्तिकला।
- एलोरा (महाराष्ट्र) – हिन्दू, बौद्ध और जैन मंदिरों का सामंजस्य।
- बादामी (कर्नाटक) – चालुक्य स्थापत्य का अद्वितीय नमूना।
- महाबलीपुरम (तमिलनाडु) – पल्लव शासकों द्वारा निर्मित रथ मंदिर।
III. सांस्कृतिक एकता और विविधता का प्रतिबिम्ब:
- एक ही स्थल पर विभिन्न धर्मों के मंदिर — भारतीय धार्मिक सहिष्णुता का प्रमाण।
- क्षेत्रीय शैलियों और स्थानीय कला रूपों को एकीकृत करती है।
- शासकों द्वारा सांस्कृतिक संरक्षण की परंपरा दर्शाती है।
IV. निष्कर्ष:
शिला-कृत मन्दिर स्थापत्य भारतीय सांस्कृतिक बहुलता, धार्मिक समन्वय और तकनीकी कुशलता का एक ऐसा प्रतीक है जो "एकता में अनेकता" की भावना को मूर्त रूप देता है।
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