I. प्रेम और भक्ति का पारंपरिक विषय:
- किशनगढ़ शैली में राधा-कृष्ण की लीलाएं भक्ति आंदोलन की परंपरा में चित्रित होती हैं।
- परंतु, चित्रों में भावनात्मक निकटता, सौंदर्य और श्रृंगार रस का अधिक स्थान है।
II. बानी थानी और सावंत सिंह का युग्म:
- बानी थानी – राधा का प्रतीक।
- सावंत सिंह – स्वयं को कृष्ण मानते थे।
- उनके बीच का चित्रात्मक संबंध रोमांटिक भक्ति की पराकाष्ठा है।
III. चित्रण की विशेष शैली:
- चित्रों में नेत्रों की भाषा, मौन भाव, नयनाभिराम पृष्ठभूमि – सभी मिलकर प्रेम की अंतर्निहित भावना को दर्शाते हैं।
- राधा-कृष्ण की जोड़ी में पारलौकिक के बजाय मानवीय प्रेम का चित्रण प्रबल होता है।
IV. धार्मिक से अधिक रोमांटिक क्यों?
- परंपरागत चित्रणों में जहाँ भक्ति, व्रत, पूजा का प्रदर्शन होता है, किशनगढ़ चित्रों में निजत्व और भावनात्मक लगाव है।
- प्रेम को भक्ति से भी ऊपर एक अनुभव के रूप में दर्शाया गया है – श्रृंगारिक भक्ति का उत्कर्ष।
V. निष्कर्ष:
किशनगढ़ शैली ने राधा-कृष्ण के संबंध को केवल धार्मिक न मानकर एक रसात्मक, भावनात्मक और काव्यमय प्रेम कथा के रूप में स्थापित किया।
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