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नागर स्थापत्य शैली की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? विभिन्न उप-शैलियों सहित विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)

24-04-2025

 

I. प्रमुख विशेषताएँ:
 

  • शिखर की सीधी ऊँचाई – बिना स्तरविभाजन के ऊर्ध्वाकार उन्नयन।
  • गर्भगृह (Garbhagriha) – मंदिर का मुख्य पवित्र स्थान, जिसके ऊपर शिखर होता है।
  • मंडप (Mandapa) – प्रार्थना और समारोह हेतु खुला या अर्द्ध-खुला स्थान।
  • अन्तराल (Antarala) – मंडप और गर्भगृह को जोड़ने वाला स्थान।
  • गोलाकार या वर्गाकार अधिष्ठान (Platform)
     

II. कोई गोपुरम या प्राचीर नहीं:
 

  • नागर शैली के मंदिरों में दक्षिण भारत की तरह भव्य प्रवेशद्वार नहीं होते।
  • अधिकतर मंदिर खुले परिवेश में स्थित होते हैं।
     

III. उप-शैलियाँ:
 

  1. लत (Latina) – सीधी सरल रेखा वाला शिखर (जैसे – प्रारंभिक ओडिशा मंदिर)।
  2. वलभी (Valabhi) – छत्रवाले शिखर, सामान्यतः जैन मंदिरों में।
  3. रेक्खा-प्रसाद (Rekha-prasad) – बहुस्तरीय शिखर जिनमें कुरुचालित सजावट होती है (उदाहरण – खजुराहो)।

IV. प्रमुख उदाहरण:
 

  • लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर (ओडिशा)
  • कंदरिया महादेव मंदिर, खजुराहो (मध्य प्रदेश)
  • सूर्य मंदिर, मोढेरा (गुजरात)
     

V. निष्कर्ष:
 

नागर शैली भारत की शिल्प परंपरा का भव्यतम स्वरूप है, जो धार्मिक आस्था, कला और स्थापत्य सौंदर्य का अद्वितीय समन्वय प्रस्तुत करती है।

 

 

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