I. प्रमुख विशेषताएँ:
- शिखर की सीधी ऊँचाई – बिना स्तरविभाजन के ऊर्ध्वाकार उन्नयन।
- गर्भगृह (Garbhagriha) – मंदिर का मुख्य पवित्र स्थान, जिसके ऊपर शिखर होता है।
- मंडप (Mandapa) – प्रार्थना और समारोह हेतु खुला या अर्द्ध-खुला स्थान।
- अन्तराल (Antarala) – मंडप और गर्भगृह को जोड़ने वाला स्थान।
- गोलाकार या वर्गाकार अधिष्ठान (Platform)।
II. कोई गोपुरम या प्राचीर नहीं:
- नागर शैली के मंदिरों में दक्षिण भारत की तरह भव्य प्रवेशद्वार नहीं होते।
- अधिकतर मंदिर खुले परिवेश में स्थित होते हैं।
III. उप-शैलियाँ:
- लत (Latina) – सीधी सरल रेखा वाला शिखर (जैसे – प्रारंभिक ओडिशा मंदिर)।
- वलभी (Valabhi) – छत्रवाले शिखर, सामान्यतः जैन मंदिरों में।
- रेक्खा-प्रसाद (Rekha-prasad) – बहुस्तरीय शिखर जिनमें कुरुचालित सजावट होती है (उदाहरण – खजुराहो)।
IV. प्रमुख उदाहरण:
- लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर (ओडिशा)
- कंदरिया महादेव मंदिर, खजुराहो (मध्य प्रदेश)
- सूर्य मंदिर, मोढेरा (गुजरात)
V. निष्कर्ष:
नागर शैली भारत की शिल्प परंपरा का भव्यतम स्वरूप है, जो धार्मिक आस्था, कला और स्थापत्य सौंदर्य का अद्वितीय समन्वय प्रस्तुत करती है।
