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भारतीय संघवाद पर क्षेत्र निर्धारण और आनुपातिकता के प्रभावों का विश्लेषण कीजिए। क्या लोकसभा में सीट स्थगन ही राष्ट्रीय एकीकरण बनाए रखने का उपाय है? विवेचना कीजिए।

19-04-2025

परिचय:
 

संघीय भारत में जनसंख्या-आधारित प्रतिनिधित्व संघीय संतुलन को प्रभावित कर सकता है। बार-बार होने वाले परिसीमन से कुछ राज्यों को सत्ता में असामान्य बढ़त मिल सकती है।

 


संघीय संतुलन पर प्रभाव:
 

  • असमान प्रतिनिधित्व का खतरा:
    • अधिक जनसंख्या वाले राज्यों को ज़्यादा सीटें मिलने पर दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्य राजनीतिक रूप से हाशिए पर आ सकते हैं।
  • राजनीतिक असंतुलन की आशंका:
    • परिवार नियोजन में सफल राज्यों को "राजनीतिक दंड" मिल रहा है।

 


संविधानिक और नीतिगत समर्थन:
 

  • 84वां संशोधन (2002):
    • केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि जनसंख्या नियंत्रण में सफल राज्यों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए, न कि प्रताड़ित
  • मंत्री परिषद आकार में बढ़ोतरी की समस्या:
    • अनुच्छेद 75(1A) के तहत मंत्रियों की संख्या लोकसभा की कुल संख्या की 15% है। लोकसभा का आकार बढ़ने से प्रशासनिक लागत में वृद्धि

 



सुझाव और समाधान:
 

  • संख्या के बजाय दक्षता आधारित मॉडल:
    • HDI, जनसंख्या वृद्धि दर, स्वास्थ्य, शिक्षा को भी प्रतिनिधित्व निर्धारण का आधार बनाया जाए।
  • सहमति-आधारित लोकतंत्र:
    • राष्ट्रीय एकता हेतु सभी राज्यों के लिए समान राजनीतिक स्थान की आवश्यकता।

 



निष्कर्ष:
 

आनुपातिक प्रतिनिधित्व पर आधारित परिसीमन भारतीय संघवाद को चुनौती दे सकता है। लोकसभा में सीटों का फ्रीजिंग संघीय असंतुलन को रोकने और राष्ट्रीय एकीकरण को बनाए रखने की दिशा में एक रणनीतिक और न्यायसंगत निर्णय हो सकता है।

 

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