I. मुख्य विशेषताएँ:
- स्थिरता और परंपरा-निष्ठता:
- रचनाएँ पूर्व निर्धारित होती हैं; बहुत अधिक परिवर्तन नहीं होता।
- राग और ताल:
- 72 मेलकर्ता रागों की प्रणाली।
- जटिल ताल संरचना जैसे 'आदि', 'रूपक', 'मिश्र' आदि।
- रचनात्मक शैलियाँ:
- गीत, वर्नम, कीर्तन, कृती, पदम् आदि।
- आध्यात्मिकता केंद्र में:
- भगवान विष्णु, शिव, देवी की स्तुति में रचनाएँ।
II. हिंदुस्तानी संगीत से तुलना:
पहलू
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कर्णाटक संगीत
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हिंदुस्तानी संगीत
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क्षेत्र
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दक्षिण भारत
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उत्तर भारत
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रचना शैली
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स्थिर, पूर्व-नियोजित
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तात्कालिक, अलंकार प्रधान
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राग प्रणाली
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मेलकर्ता आधारित (72)
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थाट प्रणाली (10)
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वाद्य
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वीणा, मृदंगम, कांचिरा
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सितार, तबला, सारंगी
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प्रमुख कलाकार
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त्यागराज, मुत्तुस्वामी दीक्षितर, श्याम शास्त्री
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तानसेन, बिमल मुखर्जी
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III. निष्कर्ष:
दोनों परंपराएं भारत की संगीत विरासत को समृद्ध करती हैं। कर्णाटक संगीत अपनी तकनीकी जटिलता और भक्ति भाव से अनूठा स्थान रखता है।
