I. उत्पत्ति एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- प्रारंभ बौद्ध विहारों और चैत्यगृहों से (अजंता, भीमबेटका, बाराबर गुफाएं)।
- मौर्य काल में अशोक द्वारा बाराबर की गुफाओं का निर्माण (3rd century BCE)।
- गुप्तकाल, चालुक्य, राष्ट्रकूट और पल्लव शासकों के समय में उन्नति।
II. प्रमुख विशेषताएँ:
- एक ही शिला को तराश कर निर्मित मंदिर या गुफा।
- वास्तुशास्त्र की उच्च तकनीकी क्षमता दर्शाता है।
- मुख्य रूप से दक्षिण भारत (एलोरा, महाबलीपुरम, बादामी, अजंता) में प्रसार।
- स्तंभ, मंडप, गर्भगृह, मूर्तिकला आदि की विस्तृत कलात्मकता।
- धार्मिक विविधता — बौद्ध, जैन एवं हिन्दू मंदिर।
III. प्रमुख उदाहरण:
- एलोरा का कैलासनाथ मंदिर – राष्ट्रकूट शासक कृष्ण I द्वारा निर्मित (एक विशाल चट्टान से तराशा गया)।
- अजंता की बौद्ध गुफाएं – चित्रांकन एवं स्तूप निर्माण।
- महाबलीपुरम के रथ मंदिर – पल्लव वंश के निर्माण।
IV. समकालीन प्रभाव:
