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भारत में शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण उत्पन्न पर्यावरणीय चुनौतियों की समीक्षा कीजिए। सतत विकास की दिशा में कौन-कौन से कदम उठाए जा सकते हैं?

14-04-2025

भारत में शहरीकरण और औद्योगीकरण की स्थिति
 

  • भारत में 1951 में शहरी जनसंख्या 17.3% थी, जो 2021 में बढ़कर 35% हो गई।
  • औद्योगीकरण ने आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया, लेकिन इससे प्रदूषण और संसाधनों की अत्यधिक खपत भी हुई।
     

मुख्य पर्यावरणीय चुनौतियाँ
 

  1. वायु और जल प्रदूषण
    • औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों से कार्बन उत्सर्जन, और जल स्रोतों में गंदे जल का निर्वहन।
  2. कचरा प्रबंधन
    • ठोस और प्लास्टिक कचरे का बढ़ता संचय, जो जल और भूमि प्रदूषण को बढ़ाता है।
  3. वनों की कटाई और जैव विविधता का नुकसान
    • शहरों और उद्योगों के विस्तार के कारण प्राकृतिक आवासों का विनाश।
  4. जल संकट
    • भूजल का अत्यधिक दोहन और जल स्रोतों का प्रदूषण।
  5. जलवायु परिवर्तन
    • ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि, जिससे तापमान में बढ़ोतरी और मौसम में अस्थिरता।
       

सतत विकास हेतु उपाय
 

  1. स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग
    • सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देना, कोयले पर निर्भरता कम करना।
  2. स्मार्ट सिटी मॉडल
    • ऊर्जा कुशल भवन, हरित परिवहन और कचरा पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।
  3. वृक्षारोपण और हरित क्षेत्र का विकास
    • शहरी वानिकी और ग्रीन बेल्ट परियोजनाएँ शुरू करना।
  4. प्रभावी कचरा प्रबंधन
    • प्लास्टिक प्रतिबंध, अपशिष्ट पुनर्चक्रण, और जैविक कचरे का उपयोग।
  5. जल संरक्षण रणनीतियाँ
    • वर्षा जल संचयन, अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण, और ग्रीन बिल्डिंग तकनीक।
       

निष्कर्ष
 

  • शहरीकरण और औद्योगीकरण भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए आवश्यक हैं, लेकिन पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना भी जरूरी है।
  • सरकार और नागरिकों को मिलकर सतत विकास की रणनीतियाँ अपनानी चाहिए।

 

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