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चोल काल के मंदिर स्थापत्य की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं? विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)

22-04-2025

I. प्रमुख विशेषताएँ:
 

  • द्रविड़ शैली का उत्कर्ष:
    • ऊँचे विमानों (Vimanas) की उपस्थिति।
    • मंदिरों का मुख्य भाग — गर्भगृह, अंतराल, मंडप, गोपुरम
  • राजसत्ता की अभिव्यक्ति:
    • मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र भी थे।
    • सम्राटों द्वारा मंदिर निर्माण से राजधर्म और राजवैभव को प्रकट किया गया।
  • पत्थर की विशाल प्रतिमाएं:
    • नटराज (शिव) की कांस्य प्रतिमाएं — चोलों की उत्कृष्ट मूर्तिकला।
       

II. प्रमुख उदाहरण:
 

  • बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर:
    • राजा राजराज चोल द्वारा निर्मित (11वीं सदी)।
    • 216 फीट ऊँचा विमान।
    • ग्रेनाइट से निर्मित विशाल शिवलिंग और नंदी।
  • गंगैकोंडचोलपुरम मंदिर:
    • राजेंद्र चोल-I द्वारा निर्मित।
    • स्थापत्य में परिपक्वता और गहराई।
  • एयरावतेश्वर मंदिर, दारासुरम:
    • यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल।
    • अद्भुत कलात्मक नक्काशी।
       

III. मूर्तिकला व चित्रकला:
 

  • कांस्य प्रतिमाएं – "त्रिभंग मुद्रा", सौंदर्य और भक्ति का मिश्रण।
  • भित्ति चित्रों में धार्मिक आख्यानों की चित्रण।
     

IV. निष्कर्ष:
 

चोल स्थापत्य दक्षिण भारत की सांस्कृतिक पहचान का आधार बना, जिसने बाद की शताब्दियों में मंदिर वास्तुकला की दिशा तय की।

 

 

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